यूरोप में फैल रही पैरेट फीवर नाम की जानलेवा बीमारी


नई दिल्ली।
यूरोप के कई देशों में एक जानलेवा बीमारी फैल रही है। वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस बीमारी को पैरेट फीवर नाम दिया है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ये बेहद खतरनाक है। इससे अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक पैरेट फीवर पक्षियों में पाए जाने वाले एक बैक्टीरिया की वजह से फैल रहा है। अगर इस बैक्टीरिया से संक्रमित पक्षी किसी इंसान को काट लेता है या उसके संपर्क में आता है तो वो शख्स बीमार पड़ जाता है। हालांकि यह बीमारी संक्रमित जानवरों को खाने से नहीं फैलती है।अमेरिकी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ के हवाले से लिखा है कि पैरेट फीवर को सिटाकोसिस के नाम से भी जाना जाता है। इसने यूरोपीय देशों में रहने वाले लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। साल 2023 की शुरुआत में भी इस बीमारी से लोग संक्रमित हुए थे, लेकिन अब इससे लोगों की जान जाने लगी है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार ऑस्ट्रिया में 2023 में 14 मामलों की पुष्टि हुई थी, लेकिन इस साल अब तक मार्च में ही 4 मामले सामने आ चुके हैं। कुल मामले 18 हो गए। वहीं, डेनमार्क में 27 फरवरी तक 23 मामलों की पुष्टि हुई थी। जर्मनी में 2023 में 14 मामले सामने आए थे। इस साल अब तक 5 मामले सामने आए हैं। कुल 19 मामले हो गए हैं। अब तक 3 देशों में कुल 60 लोग पैरेट फीवर से संक्रमित पाए गए हैं। नीदरलैंड में भी 21 मामले सामने आए हैं। डब्ल्यूएचओ क ने कहा कि हाल ही मिले अधिकांश मामले पालतू या जंगली पक्षियों के संपर्क में आने से सामने आए हैं।

कई रिसर्च में सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन से बीमारियां फैल रही हैं। निचली और गर्म जगहों पर रहने वाले जानवर बढ़ते तापमान को झेल नहीं पा रहे हैं इसलिए ऊंची और ठंडी जगहों की तरफ माइग्रेट हो रहे हैं। इनके साथ बीमारियां भी उन इलाकों तक पहुंच रही हैं, जहां पहले नहीं थीं। इंसानों ने डेवलपमेंट के नाम पर जंगलों को काटकर यहां घर और इंडस्ट्रीज बना लीं। इस कारण हमारा जानवरों, मच्छरों, बैक्टीरिया, फंगस से संपर्क बढ़ गया है। दूसरी तरफ ये सभी जीव-जंतु खुद को बदलती क्लाइमेट कंडीशन्स के अनुकूल बना रहे हैं और हमारे वातावरण में ही रह रहे हैं। इनसे कई बीमारियां फैल रही हैं, जो हमारे जीवन के लिए खतरनाक हैं। इंसान अपने जीवन के लिए कई जीवों पर निर्भर करते हैं। वो सर्वाइवल के लिए इन्हें खा लेते हैं। इससे होता ये है कि इंसान इन जीवों में पनपने वाले बैक्टीरिया या इनसे फैलने वाली बीमारियों के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में आ जाते हैं।

 इधर, बढ़ते तापमान का दंश झेलने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। हर साल करीब 2 करोड़ लोग जलवायु परिवर्तन के चलते विस्थापित होते हैं। ये सभी फैक्टर्स बीमारियों के फैलने के लिए उपयुक्त परिस्थितियां बना रहे हैं। पहले खत्म हुई और नई बीमारियां दोनों ही बढ़ती जा रही हैं। इससे डेथ रेट बढ़ रहे हैं। ऐसे में रिसर्चर्स इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि क्लाइमेट चेंज हमारी उम्र पर भी असर डाल रहा है। वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, मौसम में होने बदलावों का असर तेजी से इंसानों के जीवन पर हो रहा है। 2030 से 2050 तक केवल मलेरिया या दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से ढाई लाख मौतें हो सकती हैं।
Previous Post Next Post
Ek Aawaz, India's Top News Portal, Get Latest News, Hindi samachaar, today news, Top news

क्या कहते है सितारे