वॉशिंगटन । अंतरिक्ष की यात्रा पर निकला वोयाजर 1 यान ने वहां से रहस्यमयी सिग्नल भेजने लगा है। सिग्नलों को देखकर यहां पर मौजूद नासा के साइंटिस्ट भी चकित हो गए कि ऐसा कैसे हो सकता है। धरती पर इतनी दूर से सिग्नल कैसे आ सकती है, हालांकि उन्होंने इसकी अपेक्षा नहीं की थी। यान ने नवंबर 2023 में सिग्नल को पृथ्वी पर भेजना शुरू किया था। वैज्ञानिकों ने पता किया तो, उस यान पर भेजे गए तीन ऑनबोर्ड कंप्यूटरों में से एक में खराबी निकली, जिसे उड़ान डेटा सबसिस्टम (एफडीएस) कहा जाता है। धरती पर मौजूद नासा के टेलीमेट्री मॉड्यूलेशन यूनिट ने पृथ्वी पर आ रहेसिग्नल को विज्ञान और इंजीनियरिंग के मदद से ट्रैक कर इसे स्टोर किया। नासा के एक इंजीनियर ने इस नए सिग्नल को सफलतापूर्वक डिकोड किया।इस इंजीनियर को मिले डेटा में एक मेमोरी रीडआउट है, जो जानकारी का खजाना है, जिसमें एफडीएस के यात्रा कोड, अंतरिक्ष यान की स्थिति का पता चलता है। इससे उसके धरती के साथ कनेक्शन टूटने के मूल कारण का पता चलता है। यान के धरती पर सिग्नल भेजने को वोयाजर टीम ने प्यार से “पोक” नाम दिया है।
हाल में वैज्ञीनिकों की टीम ने यान की रीडआउट मेमोरी की काफी बारीकी से अध्ययन किया, जिससे हमारे अंतरिक्ष में होने वाली कई नई घटनाओं के रहस्यों से पर्दा हटा है।नासा का यह वोयाजर-1 पृथ्वी से 24 अरब किलोमीटर से भी अधिक दूरी पर है। वहां से सिग्नल को धरती पर आने में तकरीबन 22.5 घंटे लगते हैं, जिसका अर्थ है कि टीम को यान के लिए अपने कमांड के लिए काफी यात्रा करना पड़ता है।
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