पतंजलि के उत्पादों पर लगातार उंगलियां उठ रही है और इनका घटिया स्तर भी लगातार उजागर हो रहा है। हाल ही में उत्तराखंड के रुद्रपुर की एक प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान पतंजलि के 14 उत्पादों की गुणवत्ता फेल हो गई। इनमें प्रमुख रूप से पतंजलि की सोन पापड़ी नवरत्न इलायची शामिल है। प्रयोगशाला की परीक्षण रिपोर्ट के बाद अदालत में पिथौरागढ़ में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा इसे गंभीरता से लेते हुए सभी 14 उत्पादों का लाइसेंस निलंबित कर दिया तथा पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के असिस्टेंट मैनेजर समेत तीन लोगों को जेल की सजा सुना दी। इन पर जुर्माना भी लगाया गया है।
जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि एक खाद्य सुरक्षा निरीक्षक ने 2019 में बेरीनाग, पिथौरागढ़ के मुख्य बाजार में लीला धर पाठक की दुकान पर पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी के बारे में चिंता जताई थी। कहा जाता है कि घटना के बाद मिठाई के नमूने एकत्र किए गए और कानाहा जी वितरक, रामनगर और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, हरिद्वार को नोटिस जारी किए गए। दिसंबर 2020 में, रुद्रपुर में परीक्षण प्रयोगशाला ने मिठाई की घटिया गुणवत्ता पर राज्य खाद्य सुरक्षा विभाग को नोटिस भेजा। घटना के बाद व्यवसायी लीला धर पाठक, वितरक अजय जोशी और पतंजलि के सहायक प्रबंधक अभिषेक कुमार के खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए। तीनों लोगों पर क्रमशः ₹5,000, ₹10,000 और ₹25,000 का जुर्माना भी लगाया गया और छह महीने जेल की सजा सुनाई गई। यह भी कहा जाता है कि एक ताजा घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से पूछा कि क्या उसके 14 उत्पादों की बिक्री बंद हो गई है, जिनके विनिर्माण लाइसेंस पिछले महीने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने निलंबित कर दिए थे। पतंजलि की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने शीर्ष अदालत को बताया कि उन्होंने इन उत्पादों की बिक्री रोक दी गई है। अदालत के इस फैसले और कार्रवाई से यह बात साफ है कि पतंजलि गुणवत्ता के जिन दावों से अपना कारोबार फैलाती रही है, उनमें सच्चाई एकदम उलट है।
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