भारत की अदालतों में पिछले पांच साल में महिला न्यायाधीशों का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। अदालतों में महिला न्यायाधीशों की संख्या 27 फीसदी (2018) से बढ़कर 34.6 फीसदी (2023) हुई है। सुप्रीम कोर्ट की ‘स्टेट ऑफ द ज्यूडिशियरी’ की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।देश के सर्वोच्च न्यायालय में दिसंबर 2023 तक 32 न्यायाधीशों में से केवल तीन महिलाएं थीं। हालांकि, 2018 में यह चार फीसदी कम था। 2018 में, उच्च न्यायालयों में 696 न्यायाधीशों में से केवल 10% महिलाएं थीं। 2023 तक उच्च न्यायालयों में कुल 737 न्यायाधीशों में से महिला न्यायाधीशों का अनुपात बढ़कर 13.4% हो गया है।
आंकड़ों के अनुसार, पंजाब और हरियाणा, दिल्ली और बॉम्बे हाईकोर्ट में महिला न्यायाधीशों की संख्या क्रमशः 13, 10 और 9 (सबसे अधिक) है। ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे उच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों का प्रतिनिधित्व उल्लेखनीय रूप से कम है। इन राज्य उच्च न्यायालयों में से प्रत्येक में केवल एक महिला न्यायाधीश है। वहीं, पटना, उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर में कोई महिला जज नहीं है।अधीनस्थ न्यायालयों में स्थिति काफी बेहतर है। 2018 में, देश की अधीनस्थ अदालतों में 27.6 फीसदी महिला न्यायाधीश थीं। 2023 तक, यह संख्या बढ़कर 36.3 प्रतिशत हो गई थी।
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