इटली के पुगलिया में दक्षिणी इतालवी तटीय रिसॉर्ट बोर्गो एग्नाजिया में शिखर सम्मेलन बीते वर्षों के मुकाबले शायद इस समूह के नेताओं का सबसे कमजोर सम्मेलन साबित होने जा रहा है। यह ऐसे वक्त में हो रहा है जब रूस-यूक्रेन युद्ध तीसरे साल में दाखिल हो रहा है और गाजा में हमास के खिलाफ इस्राइल की लड़ाई से मानवीय संकट उठ खड़ा हुआ है। नतीजन सम्मेलन से दुनिया के ताकतवर नेतृत्व की उम्मीद पाली जा रही, लेकिन ऐसा होना मुश्किल सा दिखता है, क्योंकि अधिकांश नेता चुनावों, घटती लोकप्रियता या घरेलू संकटों से परेशान हैं। लेकिन इसके उलट इटली की 47 साल की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी सबसे ताकतवर नेता बनकर उभरी हैं।
यूरोपीय चुनावों में उनकी पार्टी के शानदार प्रदर्शन ने उनकी धमक पूरी दुनिया में दिखा दी है। बिग 7 संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के नेताओं के बीच केवल एक ही नाम गूंज रहा है मेलोनी.. मेलोनी। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में नाटो में अमेरिकी राजदूत रहे इवो डाल्डर तो कह चुके हैं कि मेलोनी को छोड़कर, जी7 शिखर सम्मेलन में सभी नेता काफी कमजोर हैं। और जी-7 की मेजबानी के लिए तैयार मेलोनी को भी ये बात बखूबी पता है, इसलिए उन्होंने सोमवार को अपने समर्थकों से कहा कि देश जी-7 और यूरोप में सबसे मजबूत सरकार के साथ हैं। वे हमें रोक नहीं सकते।
जी7 शिखर सम्मेलन में समूह के नेताओं और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत करने वाली मेलोनी को शायद अभी यूरोप की सबसे स्थिर नेता कहा जा सकता है। वजह, उनकी धुर दक्षिणपंथी ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी यूरोपीय संसद के चुनावों में बड़ी विजेता बनकर उभरी। यह वर्तमान में इटली की सत्तारूढ़ पार्टी है। इस साल मेलोनी लगभग 29 फीसदी वोट मिले हैं जो 2019 के चुनावों में उन्हें मिले छह फीसदी वोटों में आया बेहतरीन सुधार है। चुनावों में उनका प्रदर्शन उनके जर्मन और फ्रांसीसी समकक्षों से बहुत अलग है। जर्मनी के ओलाफ स्कोल्ज को तब झटका लगा जब जर्मन की धुर दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर पार्टी (एएफपी) ने उनके सोशल डेमोक्रेट्स को हराकर दूसरा स्थान हासिल किया। फ्रांस के इमैनुएल मैक्रों ने मरीन ले पेन की नेशनल रैली से पीछे रह जाने के बाद अचानक चुनाव का बिगुल बजा डाला।
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