- किसी भी थाने में दर्ज हो जाएगी एफआईआर, पुलिस ने शुरू की तैयारी
केन्द्र सरकार ने अंग्रेजों के जमानों से लागू आईपीसी एक्ट की जगह तीन नए कानून बनाए हैं, जो 1 जुलाई से देशभर में लागू हो जाएंगे, जिसकी प्रदेश पुलिस ने भी तैयारी शुरू कर दी है और इन नए कानूनों को समझने के लिए सभी को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसमें अधिक जोर डिजीटल पर दिया गया है और साक्ष्य संकलन के लिए हर घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग की भी करना पड़ेगी, जिसके लिए हर जांच अधिकारी को टेबलेट दिए जा रहे हैं। 164 साल पुराना आपराधिक कानून अब बदलने जा रहा है। सभी जिलों में मुख्य प्रशिक्षिकों को चिन्हित कर ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू किए जा रहे हैं। आईपीसी की 511 धाराओं की जगह बीएनएस में 358 धाराएं होंगी, तो बीएनएसएस में सीआरपीसी की 177 धाराओं को बदलने के साथ 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं।
इसी तरह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 166 की जगह 170 धाराएं होंगी। अभी केन्द्रीय संचार ब्यूरो ने रामबाग स्थित चिल्ड्रन सिक्युरिटी ग्रुप, बाढ़ रक्षा संगठन में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। ब्यूरो के प्रचार अधिकारी दिलीपसिंह परमार ने बताया कि 600 से अधिक संशोधनों के साथ ही कुछ जोडऩे एवं हटाकर आपराधिक कानून को पारदर्शी, आधुनिक और तकनीकी तौर पर कुशल ढांचे में डाला गया है, ताकि वह भारत की आपराधिक न्याय व्यवस्था को कमजोर करने वाली मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपनिदेशक श्रीमती तारा पारगी ने कहा कि अब नए कानून के बदलाव के बाद कोई भी व्यक्ति श्व-स्नढ्ढक्र किसी भी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कर सकता है। भले ही थाने का कार्य क्षेत्र कुछ भी हो, साथ ही स्नढ्ढक्र की प्रति इलेक्ट्रॉनिक तरीके से प्राप्त की जा सकती है। जांच की प्रगति के बारे में पुलिस को 90 दिनों के भीतर सूचित करना होगा।
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