Jabalpur News : हाई कोर्ट ने कहा- मामला अत्यंत गंभीर प्रकृति का, सिर्फ प्राचार्य को ही जमानत मिल सकेगी


हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में मनमानी फीस वसूली व पाठ्यपुस्तक घोटाला प्रकरण में न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि यह मामला अत्यंत गंभीर प्रकृति का है। साथ ही फिलहाल जांच भी जारी है। लिहाजा, आरोपितों को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। दरअसल, गिरफ्तार किए गए प्राचार्यों, स्कूल प्रबंधकों, पुस्तक विक्रेताओं व प्रकाशकों की ओर से जमानत आवेदन दिए थे। इसके अलावा कार्रवाई के विरुद्ध चार स्कूलों ने रिट याचिका भी दायर की थी।

प्राचार्य कर्मचारी हैं और नीतियों का निर्धारण प्रबंध करता है

प्राचार्यों की तरफ से तर्क दिया गया कि वह तो केवल पद पर पदस्थ हैं। वे कर्मचारी हैं और नीतियों का निर्धारण प्रबंधन करता है। पूरे प्रकरण में उनकी कोई भूमिका नहीं है। कर्मचारी होने के बावजूद पुलिस ने उनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया। गिरफ्तार किये गये पुस्तक विक्रेताओं की तरफ से तर्क दिया गया कि प्रकाशकों ने पुस्तकों की सप्लाई की थी। वे तो केवल पुस्तकों को बेचते हैं।

एक्सपर्ट कमेटी के अनुमोदन बगैर प्रतिवर्ष पाठ्यक्रम बदलते

सरकार की ओर जमानत अर्जियों का विरोध करते हुए कहा गया कि स्कूल प्रबंधन, पुस्तक विक्रेता व प्रकाशकों की मिली भगत से एक्सपर्ट कमेटी के अनुमोदन के बिना प्रतिवर्ष पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाता है। फर्जी आईएसबीएन का नम्बर का उपयोग कर पुस्तकों का प्रकाशन करवाया जाता था।

स्कूल प्रबंधन अपनी आडिट रिपोर्ट में भी फर्जीवाड़ा किया

स्कूल प्रबंधन के द्वारा अपनी आडिट रिपोर्ट में भी फर्जीवाड़ा किया गया है। पुलिस ने कुछ प्रकाशकों के विरुद्ध भी प्रकरण दर्ज किया है। प्रकरण की जांच जारी है और अारोपितों को जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।

नौ अलग-अलग पुलिस थानों में 81 पर एफआइआर दर्ज

उल्लेखनीय है कि कलेक्टर जबलपुर के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों ने अभिभावकों की शिकायत पर शहर के नौ अलग-अलग पुलिस थानों में 81 लोगों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की है। प्रकरण दर्ज करने के पहले कलेक्टर ने जांच कमेटी बनाई थी।

कई स्कूल प्रबंधकों ने अप्रत्याशित रूप से फीस में वृद्धि की

प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि निजी स्कूल प्रबंधकों, पुस्तक विक्रताओं व प्रकाशकों ने मिलीभगत कर फर्जी आईएसबी नंबर की पुस्तकें कोर्स में शामिल कीं। इसके अलावा कई स्कूल प्रबंधकों ने अप्रत्याशित रूप से फीस में वृद्धि की।

सभी याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से की गई

कोर्ट ने कहा कि केस डायरी से पता चलता है कि प्रथमदृष्ट्या स्कूलों के प्रबंधन पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने अनुचित आर्थिक लाभ प्राप्त करने फीस वृद्धि की और आईएसबीएन की जालसाजी भी की। सभी याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से की गई।
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