5 साल में 11570 मेगावॉट अधिक बिजली उत्पादन का लक्ष्य


भोपाल । मप्र में अगले 5 साल में 11570 मेगावाट अतिरिक्त बिजली पैदा होगी। इसके लिए मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी अभी से जुटी हुई है। कंपनी का टारगेट हैं कि 2028-29 तक प्रदेश में 34300 मेगावॉट बिजली उत्पादन किया जाए। यह वर्तमान में 22730 मेगावॉट बिजली की उत्पादन क्षमता से 11570 मेगावट अधिक है। प्रदेश में बिजली की उत्पादन क्षमता अगले पांच साल में डिमांड से दोगुनी हो जाएगी। मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी ने यह लक्ष्य रखा है। कंपनी का 2028-29 तक प्रदेश में 34300 मेगावॉट बिजली उत्पादन का टारगेट है। इसकी जानकारी कंपनी ने मप्र विद्युत विनियामक आयोग को उपलब्ध कराई है। प्रदेश में अभी 22730 मेगावॉट बिजली की उत्पादन क्षमता है। यह बिजली भी प्रदेश की डिमांड से ज्यादा है। गौरतलब है कि मप्र वर्तमान में ही अपनी मांग की अपेक्षा अधिक बिजली का उत्पादन कर रहा है। मप्र में उत्पादित होने वाली अतिरिक्त बिजली दूसरें राज्यों को बेची जाती है। वहीं मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी आगामी वर्षों में बिजली उत्पादन का लक्ष्य और बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। बिजली की अधिक उपलब्धता होने की वजह से प्रदेश की पॉवर जनरेशन कंपनी दूसरे राज्यों के औद्योगों को सस्ती दरों में बिजली बेच देती है। दूसरे राज्यों के औद्योगों को 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली बेची जाती है। पिछले तीन से चार महीने में पॉवर जनरेशन कंपनी ने करीब 400 करोड़ रुपए की 84 करोड़ यूनिट बिजली बेची है। यह बिजली लगभग 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बेची जाती है। इससे महंगी बिजली प्रदेश के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को मिलती है।

डिमांड से 50 फीसदी ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य

कंपनी का टारगेट हैं कि 2028-29 तक प्रदेश में 34300 मेगावॉट बिजली उत्पादन किया जाए। प्रदेश में बिजली की उत्पादन क्षमता अगले पांच साल में डिमांड से दोगुनी हो जाएगी। वर्तमान में प्रदेश में बिजली की औसत डिमांड 12 हजार से 13 हजार मेगावॉट है। गर्मी के दिन में यह डिमांड 15 हजार मेगावॉट तक पहुंच पाती है। प्रदेश के किसान जब रवी की फसल लगाते है, तब अक्टूबर से नंवबर तक खेतों में सिचाई के लिए बिजली की डिमांड बढ़ जाती है। तब भी प्रदेश में बिजली की औसत डिमांड 15 से 16 हजार मेगावॉट ही रहती है। प्रदेश में 13 जनवरी 2023 को बिजली की डिमांड 17170 मेगावाट तक पहुंच गई थी। इसके बाद 22 दिसंबर 2023 को बिजली की डिमांड 17714 मेगावॉट तक पहुंची थी। यह अब तक की सबसे अधिक डिमांड है। इधर, पॉवर जनरेशन कंपनी के पास 22730 मेगावॉट बिजली उपलब्ध है। प्रदेश में सोलर एनर्जी को बढ़ाने का टारगेट है। सोलर एनर्जी बढ़ जाने से बिजली कंपनियों का बिजली उत्पादन पर होने वाला खर्च कम हो जाएगा। अभी प्रदेश कोयले से बनने वाली बिजली पर निर्भर है, जो महंगी पड़ती है। सोलर एनर्जी कोवले से बनने वाली बिजली से सस्ती पड़ेगी। इससे प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को भी बिजली बिलों से राहत मिल सकती है। इसके साथ ही थर्मल एनजी भी बढ़ेगी। अभी प्रदेश में बर्मल एनर्जी की उपलब्धता 4570 मेगावॉट है। यह साल 2028-29 तक 5890 मेगॉगट हो जाएगी। वहीं अभी प्रदेश में सोलर एनर्जी करीब 6 हजार मेगावॉट है। यह अगले पांच साल में 12638 मेगावॉट हो जाएगी। सोलर एनर्जी की उपलब्धता दोगुने से ज्यादा हो जाएगी।
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