जबलपुर : आज करीब 12 बजे हावबाग रोड स्थित भंडारी अस्पताल में हंगामा की स्थिति बन गई। भंडारी अस्पताल में 26 जून को एडवोकेट सतीश नामदेव, जो कि कलेक्ट्रेट में नोटरी का कार्य करते थे, को सांस लेने में दिक्कत होने के कारण भर्ती कराया गया था। उनकी मृत्यु 1 जुलाई को अस्पताल में ही हो गई थी, जिसका कारण अस्पताल प्रबंधन ने हार्ट की समस्या बताया था।
परिजनों के अनुसार, सतीश के पुत्र एडवोकेट योगेश नामदेव ने अस्पताल प्रबंधन पर और वहां चल रहे इलाज पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पिता की मृत्यु गलत इंजेक्शन देने के कारण हुई है। इस मामले को लेकर आज भी वह अस्पताल प्रबंधन के पास इलाज के दौरान बनाई गई फाइल की मांग करने आए थे। अस्पताल प्रबंधन ने ओरिजिनल फाइल देने से मना कर दिया, और फाइल देने के लिए योगेश से एक कागज पर रिसिविंग देने की मांग की।
योगेश नामदेव ने इसे मान लिया, लेकिन अचानक अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को बुला लिया और बात बदल दी। धक्का मुक्की की स्थिति बन गई, यहां तक कि उनकी बहन और अन्य महिलाओं के साथ भी बदसलूकी की गई। पुलिस के पहुंचने पर अस्पताल प्रबंधन ने आरोप लगाया कि योगेश नामदेव फाइल लेकर चले गए हैं, जबकि योगेश के अनुसार फाइल दी ही नहीं गई थी।
मौके पर पहुंचे जिला बार भूतपूर्व कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट आशीष पांडे और अन्य एडवोकेट ने मामले को समझते हुए अस्पताल प्रबंधन को समझाया। अस्पताल प्रबंधन ने योगेश और उनकी बहन के खिलाफ फाइल चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाने की बात कही। इसके बाद मामला और बिगड़ गया, लेकिन दोनों पक्षों द्वारा आपसी समझ से मामला सुलझाया गया। अंततः अस्पताल प्रबंधन ने फोटो कॉपी देने की बात कही, जिस पर योगेश नामदेव ने भी रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही है।
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